इमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः बेवक़ूफ़ आदमी अपने शहर में भी परदेसी और अपने परिवार वालों के बीच भी अपमानित होता है।
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रोज़ी रोटी में वृद्धि का कारण।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः जिसका व्यवहार अच्छा होगा, उसकी रोज़ी रोटी में वृद्धि होगी।
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इंसानी ज़िदगी।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः लोग दुनिया में उन यात्रियों की तरह हैं जिन्हों सुस्ताने के लिए पड़ाव डाला हो और उन्हें यह पता न हो कि कब प्रस्थान की पुकार हो जाए।
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ग़ुस्से का नतीजा।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः ग़ुस्से का आरंभ पागलपन और अंत पछतावा है।
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औरतों का पर्दा।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः औरतों का पर्दा, उनके लिए बेहतर होता है और इससे उनका सौन्दर्य ज़्यादा दिनों तक बाक़ी रहता है।
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परामर्श
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः जो कोई अल्लाह से अपनी भलाई चाहेगा वह असमंजसता में नहीं पड़ेगा और जो कोई परामर्श करेगा उसे पछतावा नहीं होगा।
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ख़ुद से बहुत ज़्यादा ख़ुश रहने वाले का हाल।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः जो ख़ुद से बहुत ज़्यादा ख़ुश रहता है , उससे नाख़ुश रहने वाले ज़्यादा हो जाते हैं।
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दान, सफल दवा
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः दान, सफल दवा है।
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जवान का दिल।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः जवान का दिल उपजाऊ ज़मीन की तरह होता है कि जो कुछ उसमें बोया जाता है, उग आता है।
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दुनिया कैसे रंग बदलती है।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः जब दुनिया किसी के साथ होती है तो दूसरों के गुण भी उसे दे देती है और लेकिन जब दुनिया उससे मुंह फेरती है तो उसके अपने गुण भी उससे छीन लेती है।
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अपने अधीन लोगों पर दया करने का फ़ायदा।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः अपने अधीन लोगों पर दया करो ताकि तुमसे ऊपर वाले तुम पर दया करें।
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जो मौत से डरता है।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः मुझे आश्चर्य है उस आदमी पर जो मौत से तो डरता है लेकिन गुनाह करने से नहीं रुकता।
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दुश्मन को माफ़ करना।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः जब तुम अपने दुश्मन से जीत जाओ तो उसे माफ़ करके, इस जीत पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करो।
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मांगने वाले को ख़ाली हाथ न लौटना
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः मांगने वाले को कभी ख़ाली हाथ न लौटाओ, उसे आधा दाना अंगूर या खजूर ही सही लेकिन ज़रूर दो।
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रोज़ेदार की नींद।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नपैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम फ़रमाते हैंः रोज़ेदार की नींद इबादत है और उसका सांस लेना अल्लाह की तस्बीह करना है।
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इबादत का दरवाज़ा
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नपैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम फ़रमाते हैंः हर चीज़ का एक दरवाज़ा होता है और इबादत का दरवाज़ा रोज़ा है।
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तीन महत्वपूर्ण चीज़ें जिनसे याददाश्त बढ़ती है।
जुलाई 14, 2014 - 7:14 अपराह्नपैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम फ़रमाते हैंः तीन चीज़ें याददाश्त को बढ़ाती हैं, दांत मॉंजना, रोज़ा रखना और पवित्र क़ुरआन की तिलावत करना।
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रमज़ान में तौबा।
जुलाई 14, 2014 - 7:13 अपराह्नइमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः रमज़ान के महीने में जिसके गुनाह माफ़ नहीं किए गये, तो फिर किस महीने में किए जाएंगे।
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रमज़ान का महीना।
जुलाई 14, 2014 - 7:13 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः अल्लाह ने रमज़ान के महीने को लोगों के लिए मुक़ाबले का मैदान बनाया है जिसमें लोग अल्लाह के आज्ञापालन द्वारा उसे ख़ुश करने के लिए मुक़ाबले में हिस्सा लेते हैं और कुछ लोग आगे निकल जाते हैं तो वह कामयाब रहते हैं और कुछ लोग सुस्ती करते हैं तो वह नाकाम रहते हैं।
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वास्तविक भलाई।
जुलाई 14, 2014 - 7:13 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः भलाई वह है जिसके पहले आज, कल न किया जाए और उसके बाद किसी पर एहसान न जताया जाए।
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बिना उपकार जताए भलाई करना।
जुलाई 14, 2014 - 7:12 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः भलाई वह होती है जो बिना मांगे और बिना उपकार जताए की जाए।
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हंसी-मज़ाक़ से परहेज़।
जुलाई 14, 2014 - 7:07 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः हंसी-मज़ाक़, इंसान के वैभव को कम करता है तथा कम बातें करने वाले के वैभव में हमेशा वृद्धि होती रहती है।
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अवसर को ग़नीमत जानना।
जुलाई 14, 2014 - 7:06 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः अवसर बहुत तेज़ी से हाथ से निकल जाता है और बहुत मुश्किल से दोबारा हाथ आता है।
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जेहालत की निशानी
जुलाई 11, 2014 - 10:34 अपराह्नइमाम हुसैन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः तंग सोच व विचार वाले लोगों से बहस करना, जेहालत की निशानी है।
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अक़्लमंद की निशानी।
जुलाई 9, 2014 - 6:24 अपराह्नइमाम हुसैन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः बेहतरीन बात कहना और बातचीत के संस्कारों को पहचानना अक़लमंद की निशानियों में से हैं।
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उस काम से दूरी जिसे करने के बाद माफ़ी मांगनी पड़े।
जुलाई 8, 2014 - 9:55 अपराह्नइमाम हुसैन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः उस काम से दूर रहो जिसे करने के बाद माफ़ी मांगनी पड़े।
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आलिम की निशानी।
जुलाई 8, 2014 - 9:55 अपराह्नइमाम हुसैन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः आलिम इंसान की निशानियों में से एक सोच समझ कर बात करना और बातचीत के संस्कारों का इल्म है।
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मोमिन कौन।
जुलाई 8, 2014 - 9:46 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः मोमिन आदमी उस काम में हस्तक्षेप नहीं करता जिसका उसे इल्म न हो और कभी भी अक्षमता का बहाना बना कर दूसरों के अधिकारों को पूरा करने से मुंह नहीं मोड़ता।
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भलाई।
जुलाई 8, 2014 - 9:45 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः भलाई वह है जिसे करने से पहले टाल-मटोल न की जाए और करने के बाद, उपकार न जताया जाए।
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भाईचारा।
जुलाई 8, 2014 - 9:45 अपराह्नइमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैः भाईचारे का मतलब है सख़्ती और आराम दोनों में साथ देना।
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