अमेरिकी सरकार की पॉलिसियों के कारण स्वंय उस देश की महिलाओं को दूसरे देशों की तुलना में सबसे अधिक हिंसा और अत्याचार का निशाना बनाया जाता है।
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बच्चों के सामने वाइफ की बुराई।
जून १०, २०१७ - ११:४८ PMबच्चे के सामने मां-बाप में से किसी एक का अपमान वास्तव में उसकी भावनाओं के केंद्र और आत्मविश्वास के मजबूत स्तंभ को तहस-नहस करने के समान है। इसी तरह जब मां-बाप में से कोई एक बच्चे के सामने दूसरे की आलोचना करता है उसकी बुराई करता है तो वास्तव में वह बच्चे के अंदर अपमान और मां-बाप की बात न मानने की भावना को मजबूत करता है। इसलिए कुछ समय के बाद उस घर में ना तो बाप का सम्मान रहेगा और ना ही मां किसी सम्मान के लायक समझी जाएगी।
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बच्चों के लड़ाई झगड़े को कैसे कंट्रोल करें?
मई १०, २०१७ - ११:११ PMहमें यह बात भी मालूम होनी चाहिए कि बच्चों की आदत हमेशा नहीं रहेगी बल्कि उम्र के साथ-साथ खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी अगर मां-बाप उनके बचपन की एक्टिविटीज को एक सच्चाई के तौर पर मान लें तो फिर किसी हद तक उन्हें इत्मीनान हो जाएगा
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पत्नी का सम्मान।
अप्रैल ९, २०१७ - ११:१८ PMअगर आप अपनी बीवी का ऐहतेराम करेंगे तो वह भी आपका ऐहतेराम करेगी और इस तरह आप लोगों के बीच मोहब्बत और प्रेम में और बढ़ोतरी होगी जिसके कारण लोगों के बीच आप दोनों का भी सम्मान किया जाएगा
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इस्लाम में औरत का महत्व (3)
मई १६, २०१४ - १०:५८ PMशादी इंसानी ज़िन्दगी का महत्वपूर्ण मोड़ है जब दो इंसान अलग जेन्डर से होने के बावजूद एक दूसरे की ज़िन्दगी में सम्पूर्ण रूप से दख़ील हो जाते हैं और हर को दूसरे की ज़िम्मेदारी और उसके भावनाओं का पूरे तौर पर ख़्याल रखना पड़ता है। इख़्तिलाफ़ के आधार पर हालात और स्वभाव की मांगें भिन्न होती हैं लेकिन हर इंसान को दूसरे के भावनाओं के दृष्टिगत अपनी भावनाओं और एहसास की सम्पूर्ण क़ुरबानी देनी पड़ती है।
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इस्लाम में औरत का महत्व (2)
मई १६, २०१४ - १०:५२ AMउसकी निशानियों में से एक यह है कि उसने तुम्हारा जोड़ा तुम ही में से पैदा किया है ताकि तुम्हे उससे ज़िन्दगी का सुकून हासिल हो और फिर तुम्हारे बीच मुहब्बत व रहमत की भावना बताया है। आयते करीमा में दो अहम बातों की तरफ़ इशारा किया गया है
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इस्लाम में औरत का महत्व (1)
मई १५, २०१४ - १०:२३ PMइस्लाम में औरत के महत्व को जानने से पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि इस्लाम ने इन बातों को उस समय पेश किया जब बाप अपनी बेटी को ज़िन्दा दफ़्न कर देता था और उस कुरूरता को अपने लिये सम्मान और सम्मान का कारण समझता था। औरत दुनिया के हर समाज में बहुत मूल्यहीन प्राणी समझा जाता था।
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सुप्रीम लीडर की ज़बानीः
समाज में औरत का अहेम रोल
जनवरी २२, २०१३ - १२:०० AMऔरत के विषय को आज की दुनिया का एक महत्वपूर्ण विषय कहना चाहिये जो हर मुल्क, हर कल्चर, हर सुसॉईटी का विषय है लेकिन अफ़सोस की बात है कि आज तक किसी भी मुल्क और सुसॉइटी में इस विषय पर इस तरह बात नहीं की गई और उसे इस तरह बयान नहीं किया गया जो उसका अधिकार था.........
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इस्लामी जगत और महिला अधिकार
नवम्बर ४, २०११ - १२:०० AMमानव समाज की आधी जनसंख्या के रूप में महिला को यद्यपि विदित रूप से दृष्टिगत रखा गया है तथा उनके अधिकारों और स्थान के बारे में बातें की जाती हैं.....
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विश्व की महिलाएं और विभिन्न विकल्प
अक्तूबर ७, २०११ - १२:०० AMइस समय महिलाएं सुरक्षित जीवन की दृष्टि से अतीत की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं। इस समय महिलाएं आर्थिक क्षेत्रों में उन्हें उचित शिक्षा सुविधा प्राप्त है...
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पर्दा ही नारी की सुंदरता है
जुलाई ७, २०११ - १२:०० AMभारतीय नारी तो नारीत्व का, ममता का, करुणा का मूर्तिमान रूप है और पश्चिम कि सभ्यता औरत को एक नुमाइश कि चीज़ समझती है. ....
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हज़रत अली (अ) और कूफे के अनाथ
जून २४, २०११ - १२:०० AMएक दिन हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने देखा कि एक औरत अपने कंधे पर पानी की मश्क उठाए हुए ले जा रही है आपने इस औरत से मश्क ले ली और मश्क उसके घर पहुंचा दी. पानी की मश्क उसके घर तक पहुंचाने के बाद आपने उसका हाल चाल भी पूछा.
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वर्ष 2010 और महिलाएं
जून १८, २०११ - १२:०० AMवर्ष 2010 भी विभिन्न उतार चढ़ाव के साथ समाप्त हो गया। इस वर्ष भी विश्व की आधी जनसंख्या के रूप में महिलाएं, विभिन्न मामलों में उलझी रहीं जिनमें से कुछ उनसे विशेष थे। इस कार्यक्रम में हम पिछले वर्ष 2010 में महिलाओं और परिवार के विभिन्न मामलों पर एक दृष्टि डालने जा रहे हैं।
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इतिहास रचने वाली कर्बला की महिलाएं
जून ४, २०११ - १२:०० AMबहुत से महापुरुष और वे लोग जिन्होंने इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उनकी सफलता के पीछे दो प्रकार की महिलाओं का बलिदान और त्याग रहा है। पहला गुट उन मोमिन और बलिदानी माताओं का है जो इस प्रकार के बच्चों के पालन पोषण में सफल हुईं। दूसरा गुट उन महिलाओं का है जो अपने पति के कांधे से कांधा मिलाकर कठिन से कठिन घटनाओं के समक्ष डट गयीं। इस प्रकार से घटना के पीछे या विभिन्न मंचों पर परोक्ष रूप से महिलाओं की भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती
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